बाजार में गिरावट: 6 दिनों की तेजी के बाद आखिर क्यों गिरा बाजार?

क्या लाल रंग देखकर आपका दिल भी धड़कता है?

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि आप सुबह उठें और अपना इन्वेस्टमेंट ऐप खोलें, और देखें कि आपका पूरा पोर्टफोलियो लाल रंग में जगमगा रहा है? एक पल के लिए ऐसा लगता है जैसे सारी मेहनत पर पानी फिर गया हो। मन में तरह-तरह के सवाल उठने लगते हैं – “क्या मैंने गलत फैसला लिया?”, “क्या मेरा पैसा डूब जाएगा?”, “अब क्या करूं?”

अगर हाँ, तो आप अकेले नहीं हैं। हर छोटा-बड़ा निवेशक इस अनुभव से गुजरता है। बाजार में गिरावट एक ऐसी सच्चाई है जिसे हर किसी को स्वीकार करना पड़ता है। लेकिन सवाल यह नहीं है कि यह क्यों होती है, बल्कि यह है कि जब ऐसा हो, तो आपको क्या करना चाहिए? क्या आपको डरकर भागना चाहिए, या इसे एक अवसर की तरह देखना चाहिए?

इस लेख का लक्ष्य आपको यह समझाना है कि बाजार में गिरावट क्यों होती है, इसके पीछे के असली कारण क्या हैं, और एक समझदार निवेशक होने के नाते आपकी रणनीति क्या होनी चाहिए। इस आर्टिकल के अंत तक, आप लाल रंग को डर के बजाय एक नए अवसर के रूप में देखना सीख जाएंगे।

बाजार में गिरावट के पीछे की कहानी: क्या है असली वजह?

जब हम कहते हैं कि बाजार में गिरावट आई है, तो इसका मतलब होता है कि सेंसेक्स और निफ्टी जैसे इंडेक्स में काफी अंक गिरे हैं। पर ये क्यों होता है?

आम तौर पर, इसके पीछे कई कारण होते हैं, जो वैश्विक और घरेलू, दोनों स्तरों पर काम करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख कारणों को हम आसान भाषा में समझते हैं:

  • मुनाफावसूली (Profit Booking): जब बाजार लगातार ऊपर जाता है, तो निवेशकों के पोर्टफोलियो में मुनाफा बढ़ जाता है। ऐसे में, बड़े निवेशक और फंड मैनेजर अपने मुनाफे को सुरक्षित करने के लिए शेयर बेचते हैं। जब बड़ी मात्रा में बिकवाली होती है, तो यह बाजार को नीचे खींचती है। इसे हम “मुनाफावसूली” कहते हैं।
  • वैश्विक संकेत (Global Cues): आज की दुनिया में कोई भी बाजार अकेला नहीं है। अगर अमेरिका या यूरोप के बाजार में कोई बड़ी घटना होती है (जैसे ब्याज दरों में बदलाव या मंदी की आशंका), तो इसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ता है। निवेशक सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर में निवेश करने लगते हैं, जिससे भारत जैसे विकासशील देशों से पूंजी बाहर निकलने लगती है।
  • राजनीतिक और आर्थिक घटनाएं: चुनाव, नई सरकारी नीतियों, या भू-राजनीतिक तनाव (जैसे दो देशों के बीच युद्ध) का सीधा असर बाजार पर पड़ता है। ऐसी अनिश्चितता के माहौल में निवेशक जोखिम लेने से बचते हैं और पैसा निकालना शुरू कर देते हैं।

क्यों हर गिरावट एक बुरा संकेत नहीं होती?

इतिहास गवाह है कि बाजार में गिरावट हमेशा होती रही है और होती रहेगी। यह बाजार का एक प्राकृतिक हिस्सा है, ठीक वैसे ही जैसे मौसम बदलते हैं। इसे हम ‘करेक्शन’ भी कहते हैं।

इसे एक उदाहरण से समझते हैं: साल 2020 में COVID-19 महामारी की शुरुआत में, बाजार में एक बड़ी गिरावट आई थी। सेंसेक्स 42,000 से गिरकर 25,000 के स्तर पर आ गया था। उस समय निवेशकों में काफी डर था। लेकिन जिन लोगों ने उस समय धैर्य रखा और अच्छी कंपनियों में निवेश किया, उन्होंने अगले कुछ सालों में शानदार रिटर्न कमाया।

इस तरह, हर बड़ी गिरावट एक अवसर भी लाती है, जहाँ आपको अच्छी क्वालिटी के शेयर कम कीमत पर मिलते हैं।

निवेशकों के लिए एक एक्शन प्लान: क्या करें जब बाजार गिरे?

अब जब आप बाजार में गिरावट के पीछे के कारणों को समझ गए हैं, तो आइए जानते हैं कि जब ऐसा हो, तो आपको क्या करना चाहिए। यह एक 1000% प्रैक्टिकल एक्शन प्लान है।

  1. घबराएँ नहीं: सबसे पहली और सबसे जरूरी बात – पैनिक न करें। लाल रंग देखकर तुरंत बेचने का फैसला लेना अक्सर गलत साबित होता है। अपनी भावनाओं को काबू में रखें।
  2. विश्लेषण करें: गिरावट की वजह को समझने की कोशिश करें। क्या यह कोई छोटी-मोटी खबर है या कोई बड़ा ढांचागत बदलाव?
  3. धीरे-धीरे SIP जारी रखें: अगर आप SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) के जरिए निवेश करते हैं, तो उसे जारी रखें। बाजार में गिरावट के दौरान आपकी SIP आपको ज्यादा यूनिट्स खरीदने का मौका देती है, जिससे लंबी अवधि में आपका रिटर्न बेहतर होता है। इसे हम “एवरेजिंग डाउन” कहते हैं।
  4. अच्छी क्वालिटी के शेयरों पर नजर रखें: ऐसे समय में अच्छी, फंडामेंटली मजबूत कंपनियों के शेयर भी कम दाम पर मिल जाते हैं। ऐसे शेयरों की एक लिस्ट बना लें और जब मौका मिले, तो उनमें धीरे-धीरे निवेश करें।
  5. कर्ज पर निवेश से बचें: जब बाजार अस्थिर हो, तो कभी भी कर्ज लेकर निवेश न करें। ऐसा करना बहुत जोखिम भरा हो सकता है।

केस स्टडी: COVID-19 और निवेशकों का धैर्य

जब 2020 में पूरी दुनिया लॉकडाउन में चली गई थी, तब यह कहना मुश्किल था कि आगे क्या होगा। शेयर बाजार बुरी तरह गिर गया था, और कई विशेषज्ञों ने मंदी की भविष्यवाणी की थी। लेकिन जिन निवेशकों ने धैर्य रखा, उन्होंने देखा कि जैसे ही हालात सुधरने लगे, बाजार ने तेजी से रिकवरी की। जिन लोगों ने panic selling की, उन्हें भारी नुकसान हुआ। वहीं, जिन्होंने धीरज से काम लिया या निवेश जारी रखा, वे आज फायदे में हैं।

यह साबित करता है कि बाजार में गिरावट एक अस्थायी चरण है। दीर्घकालिक निवेश हमेशा फायदेमंद होता है।

क्या इस समय निवेश करना सही है?

यह एक बहुत ही व्यक्तिगत सवाल है। अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं (5-10 साल या उससे ज्यादा), तो बाजार में गिरावट आपके लिए एक सुनहरा अवसर हो सकती है। लेकिन अगर आपको थोड़े समय के लिए ही पैसा चाहिए, तो बाजार की अस्थिरता से दूर रहें।

एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक स्थिति अभी भी मजबूत है। सरकार और RBI द्वारा किए गए सुधारों ने अर्थव्यवस्था को एक मजबूत आधार दिया है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. बाजार में करेक्शन (Correction) और क्रैश (Crash) में क्या अंतर है?

करेक्शन आमतौर पर 10-20% की गिरावट होती है जो एक अल्पकालिक घटना है। क्रैश 20% से ज्यादा की गिरावट होती है जो किसी बड़ी आर्थिक या वैश्विक समस्या के कारण होती है और इसका असर लंबे समय तक रह सकता है।

2. क्या मुझे अपने सारे शेयर बेच देने चाहिए?

नहीं, आमतौर पर ऐसा करना गलत होता है। जब तक किसी कंपनी में कोई बड़ी समस्या न हो, तब तक panic में आकर बेचने से नुकसान हो सकता है।

3. क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है?

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से जोखिम थोड़ा कम हो जाता है, क्योंकि आपका पैसा कई अलग-अलग शेयरों में बंटा होता है। SIP के जरिए निवेश करना बाजार में गिरावट के दौरान भी एक अच्छा विकल्प है।

आपका सवाल, मेरा जवाब

तो दोस्त, अब आप समझ गए होंगे कि बाजार में गिरावट सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि निवेश यात्रा का एक हिस्सा है। डर के बजाय, इसे समझने और सही रणनीति बनाने का समय है।

याद रखें, लंबी अवधि के निवेश में धैर्य ही सबसे बड़ा हथियार है। अगर आपके मन में कोई सवाल है, तो आप नीचे कमेंट्स में अपना प्रश्न पूछ सकते हैं।

डिस्क्लेमर (Disclaimer)

यह लेख केवल जानकारी और शिक्षा के उद्देश्य से है। यह किसी भी तरह की वित्तीय सलाह नहीं है। शेयर बाजार में निवेश जोखिम के अधीन है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।

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